#कुषाण_वंश
कुषाण वंश गुर्जर जाति का ज्ञात प्राचीनतम वंश है जो अब तक कुषाण-कसाना गौत्र के रुप में सुरक्षित-विख्यात है।
कुषाण वंश न केवल गुर्जर जाति का अपितु अपने समय के संसार के चार महान साम्राज्यों में से एक था अत: यह वंश गुर्जर जाति के वैभव एवं शौर्य को व्यंजित करने वाला वंश है।
इस वंश के सम्राटों ने भारतीय धर्म तथा संस्कृति की पताका को विदेशों में भी फहराया था।
यही कारण है कि चीन तथा तिब्बत में आज तक भी बौध्द्द धर्म की प्रधानता है।
गांधार कला तथा मथुरा कला की शैलियां कुषाण साम्राज्य की देन है जिन पर आज सभी भारतीयों को गर्व है।
शक संवत को चलाने वाला कुषाण वंशीय सम्राट कनिष्क महान था।
जब गुप्त साम्राज्य का उदय हुया तो कुषाण साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया और वे राजस्थान व गुजरात के प्रदेशों में छोटी-छोटी रियासतों के स्वामी बने रहे।
इस काल में गुर्जरों के गौत्रों का तेजी से विकास हुया और गुप्त साम्राज्य के पतन के पश्चात् पुन:गुर्जर शक्ति का विकास हुया तथा हर्षवर्धन की म्रत्यु के पश्चात् पुनः #प्रतिहार #पंवार #चौहान #चौलुक्य आदि गुर्जर राजवंशों का उदय हुया
#शेयर_जरुर_करें
कुषाण वंश गुर्जर जाति का ज्ञात प्राचीनतम वंश है जो अब तक कुषाण-कसाना गौत्र के रुप में सुरक्षित-विख्यात है।
कुषाण वंश न केवल गुर्जर जाति का अपितु अपने समय के संसार के चार महान साम्राज्यों में से एक था अत: यह वंश गुर्जर जाति के वैभव एवं शौर्य को व्यंजित करने वाला वंश है।
इस वंश के सम्राटों ने भारतीय धर्म तथा संस्कृति की पताका को विदेशों में भी फहराया था।
यही कारण है कि चीन तथा तिब्बत में आज तक भी बौध्द्द धर्म की प्रधानता है।
गांधार कला तथा मथुरा कला की शैलियां कुषाण साम्राज्य की देन है जिन पर आज सभी भारतीयों को गर्व है।
शक संवत को चलाने वाला कुषाण वंशीय सम्राट कनिष्क महान था।
जब गुप्त साम्राज्य का उदय हुया तो कुषाण साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया और वे राजस्थान व गुजरात के प्रदेशों में छोटी-छोटी रियासतों के स्वामी बने रहे।
इस काल में गुर्जरों के गौत्रों का तेजी से विकास हुया और गुप्त साम्राज्य के पतन के पश्चात् पुन:गुर्जर शक्ति का विकास हुया तथा हर्षवर्धन की म्रत्यु के पश्चात् पुनः #प्रतिहार #पंवार #चौहान #चौलुक्य आदि गुर्जर राजवंशों का उदय हुया
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